नमस्कार दोस्तों आज फिर एक बार से में आपको भारत के ऐसे एतिहासिक मंदिरों के बारे में ये लेख लिखा हु | इस लेख Ambaji Temple Gujrat in Hindi में आपको पढने और कुछ नया जानने को मिलेगा क्योकि “ क्या आप भी नही जानते होंगे की गुजरात – राजस्थान की सीमा पर बना ऐसा मंदिर जिसमे कोई भगवान की मूर्ति नही है लेकिन वहा प्रतिवर्ष हजारों – लाखों यात्रियों की भीड़ लगी रहती है |
मुख्य बिंदु Ambaji Temple Gujrat in Hindi –
- अम्बाजी मंदिर का पूरा इतिहास |
- बिना मूर्ति के दर्शन
- मंदिर की जानकारी
- यात्रियों को दर्शन करने का सही समय |
गुजरात में स्थित अंबाजी माता का इतिहास || Ambaji Temple Gujrat in Hindi
गुजरात और राजस्थान की सीमा पर बनासकांठा जिले में स्थित अम्बाजी दुर्गा माता का मंदिर बहुत ही लोकप्रिय मंदिरों में से एक है | जिसके दर्शन करने के लिए भारत ही नही गुजरात राज्य के बसे लोग विदेशो से सिर्फ इस माता के दर्शन करने के लिए आया करते है |इस माता का दर्शन भारत में गुजरात और राजस्थान के लोग ज्यादा करने आते है और वो इस माता को अपनी लोकदेवी मानते है जिसके दर्शन करने हर प्रतिवर्ष जाते है |
Ambaji Temple Gujrat का विस्तार –
अम्बाजी माता का गुणगान आज से नही सदियों से चल रहा है क्योकि जब देवी सती , जो भगवान् शिब की पत्नी ने आग में कूदकर अपनी जान दे दिया था तब भगवान शिव गुस्सा होकर अपने पत्नी सती के शरीर को उठाकर हर जगह घूमना शुरू कर दिए थे | इससे देखकर भगवान् विष्णु ने अपने चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े क दिए थे जिससे माता सती के शरीर के टुकड़े होकर चारो दिशाओं में फैल गये थे |माता सती का ह्र्दय अरावली पर्वत की अरसुरी पहाड़ी पर आकर गिरा था जहा अम्बाजी माता Mandir का निर्माण किया गया है |अम्बाजी दुर्गा माता का मंदिर 51 शक्तिपीठ में शामिल है | जिसके दर्शन करने के लिए हजारों श्रदालु प्रतिवर्ष इस मंदिर में आते है | ऐसा कहा जाता है की अम्बाजी का निर्माण अहमदाबाद के अम्बाजी के एक नागर श्री तपी शंकर जी ने किया था |
अंबाजी मंदिर का पौराणिक महत्व – Mythological Significance Of Ambaji Temple In Hindi
अंबाजी मंदिर से जुड़ी एक बात प्रचलित है कि इस जगह पर भगवान श्रीकृष्ण का मुंडन संस्कार हुआ था और भगवान राम भी शक्ति की उपासना के लिए यहां आ चुके हैं। पौराणिक कथा के अनुसार रामायण काल में, भगवान राम और लक्ष्मण रावण द्वारा सीता जी का अपहरण करने के बाद सीता की खोज में माउंट आबू या आबू के जंगल में आए थे। श्रृंगी ने उन्हें गब्बर पर देवी अम्बा की पूजा करने की सलाह दी। देवी ने उन्हें एक तीर दिया, जिसे अजय कहा जाता है, जिसके साथ भगवान राम ने अंत में रावण को मार दिया।
महाभारत काल में पांडवों ने अपने निर्वासन के दौरान देवी अंबाजी की पूजा की थी। उन्होंने भीमसेन को अजयमाला नामक एक माला दी जो युद्ध में विजय सुनिश्चित करेगी। उन्होंने अर्जुन को विराट के दरबार में छिपते हुए अपने निर्वासन के अंतिम वर्ष में बृहनाल के रूप में भेस के लिए दिव्य वेशभूषा दी। एक अन्य कथा के अनुसार, विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी ने भगवान कृष्ण को अपना पति बनाने के लिए यहां देवी अंबाजी की पूजा की थी।
अंबाजी माता में कोई प्रतिमा नही है –
अंबाजी माता के मंदिर में कोई देवी की प्रतिमा नही है क्योकि यहाँ प्रतिमा की पूजा ना करके यहाँ एक बेहद ही पवित्र यंत्र है जिसकी पूजा की जाती है |इस यंत्र की खास बात ये है की इसको आप अपनी आँखों से नही देख सकते है इसी वजह से इसकी पूजा करते समय आँखों पर सफ़ेद पट्टी बांधकर पूजा की जाती है | इस माता के सबसे ज्यादा भक्त गुजराती है जो गुजराती भारत में नही रहते है वो विदेश से भी इस माता के दर्शन के लिए यहाँ आया करते है |
Ambaji Mata Mandir Time – Table
आमतौर पर भारत के मंदिर सुबह और शाम को खुलते है लेकिन भारत के हर मंदिर का समय उनके वहा के मौसम के हिसाब से होता है | यदि आप लोग किसी भी मंदिर का दर्शन कर लिए जा रहे होते है तो आप सब्स्से पहले उस मंदिर से जुडी जानकारी होनी चाहिए | अम्बाजी माता मंदिर में हर सुबह यंत्र की पूजा सूरज के उगते समय के आसपास की जाती है | दर्शन करने के लिए यात्रियों का समय सुबह के 7 बजे से लेकर शाम के 8 बजे तक रहता है | लेकी गर्मियों में यी समय रहता है जबकि सर्दियों का समय थोड़ा कम होता है | सर्दियों का समय सुबह के 8 बजे से शुरू होकर शाम के 7 बजे तक रहता है |
अंबाजी का मौसम – Climate Of Ambaji In Hindi
सर्दियों में अंबाजी का मौसम (अक्टूबर – फरवरी) –
अंबाजी में सर्दियां उतार-चढ़ाव भरी हैं। दिन के दौरान तापमान आरामदायक होता है, लेकिन रात के दौरान 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। गुजरात के प्रमुख त्योहारों में से एक नवरात्रि इस समय के आसपास होता है जिससे सर्दियों का मौसम अंबाजी की यात्रा की योजना बनाने के लिए सबसे अच्छा होता है।
मानसून में अंबाजी का मौसम (जुलाई – सितंबर)
इस मौसम में यहां बारिश मध्यम से लेकर मूसलाधार होती है। इसलिए मानसून में अंबाजी की यात्रा प्लान करना थोड़ा कठिन होता है। हवा में नमी को छोड़कर समग्र मौसम सुखद होता है इसलिए मानसून इस मंदिर की यात्रा करने के लिए दूरा विकल्प हो सकता है।
अम्बाजी गर्मियों में (अप्रैल – जून)
गर्मियों में अंबाजी की यात्रा करने से बचें। क्योंकि इस समय यहां का तापमान 40 डिग्री तक पहुंच जाता है। और इस समय तेज धुप का कहर होता है इसलिए इस महीने में सिर्फ सुबह और शाम के समय आप जाना चाहते हो तो इस समय आप जा सकते है |
अंबाजी माता का मंदिर को बहुत ही सोच समझकर बनाया गया है जिसके सोने के तो शंकु बनाए गये है | मंदिर में प्रवेश करने के लिए एक मुख्य लम्बा – चौड़ा प्रवेश द्वार बनाया गया है और इसके साथ ही जब ज्यादा भीड़ हो जाती है उसके के लिए साइड में एक छोटा द्वार बनाया गया है जिसको ज्यादा श्रदालु आने पर खौला जाता है | मंदिर के अंदर के गर्भ को चाँदी के दरवाजो से बनाया गया है | इस कक्ष के अन्दर एक गोख बनायीं गयी है जिस पर पवित्र यंत्र को स्थापित किया गया है |
इस यंत्र की पूजा ईएसआई की जाती है जिससे मानों ये लगता है की साक्षात् माता सती की पूजा कर रहे है और किसी प्रतिमा की कमी फील नही होती है क्योकि इस मंदिर कर पुजारी इस तरह से इसको सजाकर रखते है |इस यंत्र से ये प्रतीत होता है की इस मंदिर मेंसदियों से पूजा की जा रही है क्योकि शायद प्राचीन काल में मूर्ति प्रचलन नही था इसलिए यहाँ यंत्र की पूजा ही की जाती है |
यंत्र क्यों खास है About of Ambaji Temple Gujrat –
इस माता के मंदिर में कोई प्रतिमा नही है जैसे की मैने इस लेख में आपको ऊपर बताया हु | अब में इस यंत्र में खास बात है क्योकि यदि आप इस यंत्र को देखने का प्रयास करो तो भी ये यंत्र आपको दिखाई नही देता है | इस यंत्र की कोई फोटो नही खीचने देते है और ये गलत भी है की आप किसी की आस्था फोटो ना ले तो बेहतरीन रहता है | इस यंत्र की पूजा करते समय भी पुजारी आँख पर सफ़द पट्टी बांधकर पूजा करते है |
अंबाजी माता के मंदिर में नवरात्री के समय यहाँ यात्रियों को सम्भालना मुश्किल हो जाता है क्योकि नवरात्री के समय यहाँ पैदल यात्राए आती है |यहाँ नवरात्री के 9 दिन तो शाम होती ही यहाँ हजारों की भीड़ जमा हो जाती है क्योकि नवरात्री गुजराती के लिए एक बेहद ही त्यौहार माना जाता है जिसमे वो 9 दिन तक धूम धाम से , बेंड -बाजे के साथ और गरबा करते है |इन 9 दिनों में बहुत सारे आयोजन होते है क्योकि अंबाजी माता के समीप और भी कई मंदिर है इसलिए यहाँ 9 दिन तक बहुत ही शानदार द्रश्य देखने को मिलता है |
अंबाजी माता की वजह से कई इलाके लोकप्रिय –
गुजरात और सीमा पर बना ये मंदिर अरावली पहाडियों पर बना मंदिर है इससे लगभग 5 किलोमीटर दूर माउंट आबू जो एक घुमने के लिए राजस्थान का सबसे अच्छा पर्यटक स्थान बना है क्योकि इस माता के आस पास का हरा – भरा द्रश्य होने के कारण इसके समीप माउंट आबू आज राजस्थान का सबसे लोकप्रिय पर्यटक स्थल है |
भारत और विदेशो से आने वाले लोगों को 2 चीजो का फायदा मिलता है पहला वो अपनी माता के दर्शन करने के बाद वो पास के माउंट – आबू में घूम सकते है और साथ ही 180 किलोमीटर दूर अहमदाबाद में घूम सकते है तो इसी वजह से वहा के आस पास के इलाको में जंगल सफारी की जाती है जो यात्रियों और पर्यटकों को बहुत ही पसंद आता है |
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कैसे पहुचे अंबाजी माता के –
अंबाजी माता का मंदिर गुजरात के बनासकांठा जिले में स्थित है जो गुजरात और राजस्थान के बॉर्डर पर है |
रेल यात्रियों के लिए –
यदि आप किसी भी ट्रेन के सहारे आना चाहते है तो इस मंदिर के करीब 20 किलोमीटर की दुरी पर आबू रोड रेलवे स्टेशन बना है जिस पर राजस्थान , गुजरात और भारत के अन्य राज्यों से ट्रेन की सुविधा मिल जाएगी लेकिन आपको में किसी ट्रेन का समय नही बता रहा हु तो आप जब भी इस माता के दर्शन के लिए आये तो ट्रेन का समय देखकर आये |
सड़क मार्ग –
सबसे आसान रास्ता सड़क मार्ग से आप आसानी से इस मंदिर तक आ सकते है क्योकि ये मंदिर गुजरात और राजस्थान की सीमा से जुड़ा है जिससे आप आसानी से किसी भी राज्य से आ सकते है | गुजरात के सभी मुके शहरो से अम्बाजी के लिए रोजाना बस संचालित है |
हवाई यात्रीगण –
यदि आप भारत के किसी अन्य राज्य से आ रहे हो या विदेश से आ रहे हो तो आप के लिए इस मंदिर से लगभग 180 किलोमीटर दूर सरदार वल्भ्भई पटेल एयरपोर्ट अहमदबाद में बना है | इस एयरपोर्ट से भारत के लिए सभी राज्य के लिए फ्लाइट आसानी से मिल जाती है |
FAQ –Ambaji Temple Gujrat
1.अंबाजी मंदिर में कितनी सीढ़िया है ?
अरासुरी पहाडियों पर बसा ये मंदिर जिसमे 999 सीढ़िया बताई जाती है | क्योकि ये मंदिर अरावली की पहाडियों पर बसा है |
अंबाजी का मंदिर गुजरात के बनासकांठा जिले में दाता और आबू के बीच बना हुआ है |
3.अम्बाजी मंदिर जाने के लिए सबसे अच्छा समय ?
माता अंबाजी के दर्शन के लिए आप कभी भी जा सकते है लेकिन इस मंदिर के खुबसूरत नज़ारे के लिए आप नवरात्री और भाद्रपद के मेले के दिनों में जाइए ये समय अम्बाजी माता के घुमने के लिए सबसे अच्छा समय है |
Jai ambe Mata di . भारत को इसलिए महान बताया जाता हैं क्योंकि यहा 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास है और यहां के वीर योद्धा भी महान थे और है ।
धन्यवाद सर आपका बहुत अच्छी खबर देनी के लिए।