Jobner Jwala Mata , Jobner jawla Mata History in Hindi , Jobner Mata , Jobner jawala mata Jobner Jwala Mata :- जोबनेर ज्वाला माता का सम्पूर्ण इतिहास की जानकारी हिंदी में ,
जोबनेर की ज्वाला माता का नाम राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसके नवरात्रों में देश के अलग -अलग जगह से लाखो श्रदालु दर्शन करने आते है | कहा जाता है की जो भी भक्त दिल से इसकी सेवाभाव करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है जब किसी व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है तो वो पैदल चलकर या पेट के बल लेटकर यहाँ दर्शन करने आता है |
जोबनेर की ज्वाला माता के नवरात्रों में लोगों की इतनी भीड़ हो जाती है की लोग इसकी झाकी डीजे या बेंड -बाजे के साथ यात्रा लेकर दूर – दराज से दर्शन करने के लिए आते है |
जोबनेर का इतिहास( jobner jwala mata iteehash):-
भारत देश के राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में बसा हुआ एक नगरपालिका है जिसमे सन 1947 में रावल नरेद्र सिंह ने भारत में पहला एग्रीकल्चर कॉलेज का निर्माण करवाया था जो क्रषि अनुसन्धान और प्रसार के प्रमुख केन्द्र के रूप में प्रसिद है |जयपुर से जोबनेर 45 किलोमीटर दूर बसा एक प्राचीन क़स्बा है जिससे जुब्बेनेर , जुब्बनगर ,जोबनेरी ,जोबनेर आदि नामों से जाना गया है |
अरावली पर्वतमाला में एक पहाड़ की गोद में बसा जोबनेर ज्वालामाता के प्राचीन शक्तिपीठ के लिए जाना जाता है | जोबनेर कस्बे की कुल आबादी 12000 के लगभग है और इसमें हिन्दी , राजस्थानी ,ढूंढाडी भाषा बोली जाती है इसके आस पास यादव , जैन ,जाट ,राजपूत , मुसलमान , मीणा ,कुमावत और बहुत सी जाति के लोग निवास करते है | जोबनेर में एग्रीकल्चर कॉलेज राजस्थान के प्रमुख कॉलेज में एक है इसके साथ बहुत सी स्कूल , कॉलेज , कोचिंग सेंटर आदि है जिसमे जोबनेर के ही नही देश भर में से विधार्थी पढने आते है |
जयपुर से इसकी दुरी (JOBNER JWALA MATA का इतिहास ) :-
राजस्थान के गुलाबी शहर से इस माता के मंदिर की दुरी महज 45 किलोमीटर पर है जोबनेर की प्राचीनता का पता एतिहाशिक साहित्य और ग्रंथो से पता चलता है जिसमे इसे जबनकार ,जोवान्पुरी , जबनेर ,जोबनेर आदि नामों से जाना जाता है |
जयपुर से जोबनेर जाने के लिए बस , कार , और अन्य प्राइवेट साधन पुरे दिन चलते रहते है और यदि आप ट्रेन से जाते है तो आपको फुलेरा उतरकर जोबनेर की बस लेनी होगी | फुलेरा से महज 17 किलोमीटर दूर है जोबनेर |
माता का उल्लेख ( JOBNER JWALA MATA का इतिहास ) :-
जोबनेर ज्वाला माता एक शक्ति का ही रूप माना जाता है | जोबनेर का उल्लेख पूर्व नामक एतिहासिक काव्य में हुआ है | जो हमारी इस धारणा की पुष्टि करता है जो पूर्व विलास में ही कवि ने जोबनेर का प्रयोग किया गया है |
स्वत : 1296 में चोहान काल में मंदिर की बसावट की गयी थी | जगमालसिंह कछवाहा के पुत्र खंगार ने सन 1600 में जोबनेर पर शासन किया जो जोबनेर ज्वाला माता के परम भक्त थे |
मान्यता है की जब राव भंगार को जोबनेर पर राज करने में बहुत सहारा दिया था | अजमेर के शाही सेनापति मोहमद मुराद ने 1641 के लगभग जब यहाँ के शासक जयसिंह के समय में जोबनेर पर आक्रमण किया तब जोबनेर के पहाड़ से मधुमख्यियो का बहुत विशालकाय झुण्ड उन पर टूट पड़ा था और इस तरह माँ ज्वाला ने अप्रत्यक्ष रूप से सहारा दिया था और जयसिंह को विजय दिलाई |
इस मंदिर के सवा मण्डप के ऊपर प्रतापी चोहान का 1965 ईस्वी का शिलालेख देखने को आया है | जोबनेर के उपर आज भी चोहान के अवसेश मिल जायेंगे | ज्वला माता मंदिर का उल्लेख मध्य शाहित्ये में भी इसका उल्लेख किया गया हैजोबनेर की ज्वाला माता 500 वर्ष पहले ही मारवाड़ छेत्रों में और पुरे भारत में वर्धयात्री के नाम से प्रसिद है |
रावल नरेन्द्र सिंह से अपने राजप्रसादा के प्र्सारू से मंदिर को जाने वाले रास्ते में एक ज्वाला पोल का निर्माण करवाया था जो आज भी वो पोल अच्छी तरह से बना हुआ है | इस पोल की मरमत जोबनेर की नगरपालिका के द्वारा समय करवा दिया जाता है इस ज्वाला पोल के ठीक ऊपर की तरफ चोहान वंस के शसको का आज भी महल अच्छे से बना है जो आने वाले दर्शको को जोबनेर का इतिहास को बताता है |
ज्वाला पोल के अंदर जाते ही समाज सेवी करने वाले श्री भीमा राम कुमावत ने एक सरकारी अस्पताल का निर्माण करवाया था जो आज जोबनेर के लोगों और जोबनेर के आसपास के लोग अपना फ्री में उपचार करवाने आते है ऐसे समाज सेवी को हमारी तरफ से नतमस्तक नमस्कार है |
ज्वाला माता का मंदिर संगमरमर के पत्थर से बना ये मंदिर दिल को मोह्नक लेता है ये मंदिर पहाड़ की चोटी से नीचा उसके ह्रदय में बसा हुआ है | जब आप गणेश पोल में प्रवेश करते ही काली माता के दर्शन करने को मिलेगा पूरी मान्यता के अनुसार शिव ने शती के शरीर को उठाकर ताण्डव किया था
राजस्थान में कितने प्रतिशत लोग पढ़े लिखे हैं?
उस समय शती का शरीर छिन्न भींन होकर उनके अंग अलग -अलग जगह पर गिरे थे जो शक्ति पीठ बने थे और जोबनेर में उनका जांघ का हिस्सा गिरा था तो इसका प्रतीक मानकर ज्वाला माता के रूप में पूजा जाने लगा |प्रत्येक माह की शुल्क पक्ष की अष्टमी , नवमी और माघ और आषाद माह और आश्विन और चेत्र मास के नवरात्रों पर विशालकाय मेलों का आयोजन होता है जिसमे लोग ग्रुप बनाकर या अपने परिवार के साथ में मेलों का आनंद उठाते है |
नवरात्रों में लोग अपने बच्चे का जरुला और दुल्हे -दुल्हन जोड़े के रूप में माथा टेकने आते है | जब लोगों की मनोकामना पूरी होने पर लोग माता के प्रसादी का भोग लगते है |
गणेश द्वार की दोनों तरफ की दिवार पर पुत्र जन्म या ख़ुशी पर रोली – मोली , मेहंदी और काजल से साटा बनाया जाता हैमाना जाता है की ज्वाला माता के दर्शन करने के बाद जब तक भेरवनाथ के दर्शन नही करते हो तो आपकी यात्रा पूरी नही मानी जाती है इसलिए हर यात्री ज्वाला माता के दर्शन के बाद इनके दर्शन करता है
युद्ध के छेत्र में बजाई जाने वाली नोबत मंदिर में परिसर में रखी गयी है जो पुत्र प्राप्ति या किसी अच्छे काम के सफल होने पर नोबत बजाने वाले को भेट देकर बजवाई जाती है | गर्भ गृह के बायीं और विशालकाय गुफा है |
सीढियों की सुविधा :-
ज्वाला माता के मंदिर पर जाने के लिए सीढिया बनाई गयी है जिससे बच्चे से लेकर बूढ़े लोग आराम से चढ़ सकते है | जहा से सीढ़िया शुरू होती है वही से लेकर ऊपर छाया के लिए लोहे के टेन लगाये गये है जिससे यात्रियों की किसी तरह की कोई पेरशानी ना उठाना पड़े |बीच – बीच रास्ते में जल वाटर और बैठने के लिए सुविधा की गयी है जिसमे यात्री आराम से विश्राम कर सकते है और साथ में अपना लाया हुआ खाना खा सकते है | जब आप ज्वाला माता के रास्ते में जावोगे तो आपको ज्वाला पोल से लेकर बहुत सी शॉप बनी है जहा पर आपको मिठाई , प्रसादी , माता के नाम के झंडे जिन पर लिखा होता है जय माता दी और भी इसके नाम लिखे होते है |
ज्वाला माता मनोहर दासोत खंगारोतों की कुलदेवी माना गया है | सन 1641 के लगभग अजमेर के शाही सेनापति मुराद ने जोबनेर के जैतसिंह के शासनकाल में जोबनेर पर हमला किया था तब जोबनेर पहाड़ से बड़ी संख्या में मधुमख्यियो का विशाल झुण्ड उन पर हमला कर दिया था और इस तरह ज्वाला माता खुद प्रकट होकर यहाँ के शासक की जीत दिलाई थी |
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FAQ – Jobner Jawala Mata
1. जोबनेर ज्वाला माता कहा पर है ?
जवाब – ज्वाला माता का मंदिर जयपुर से करीब 45 किलोमीटर दूर जोबनेर कसबे के पहाड़ पर स्थित है |
2 . जोबनेर माता के मेला कब भरता है ?
जवाब – नवरात्रों में ज्वाला माता के स्थान पर एक विशालकाय मेला लगता है यह मेला 15 दिनों तक चलता है | जोबनेर माता के साल में 2 बार मेले का आयोजन होता है |
3. मंदिर में ऊपर चढ़ने के लिए अपना साधन लेकर जा सकते है क्या ?
जवाब – मंदिर में ऊपर तक पहुचने के लिए सीढिया बनायीं गयी है और इसके साथ यदि आप अपना साधन लेकर जाते है तो ऊपर मंदिर तक रास्ता बना दिया गया है और ऊपर पार्किंग करने के लिए भी जगह बनाई गयी है |
मेरी राय :-
दोस्तों आज की इस पोस्ट में मैने आपको जोबनेर की ज्वाला माता का इतिहास JOBNER JWALA MATA के बारे में बताया हु और जोबनेर के आस -पास रहने वाले सभी नागरिको को शायद पता होगी लेकिन बाकि देशवासियो को इस बारे में नही पता होगी |दोस्तों हमारे देश में बहुत सी ऐसे धार्मिक स्थान है जिनके बारे में लोगों को नही पता है लेकिन में आप लोगों तक इन सब बातों को शेयर करता रहूँगा और हमारा फर्ज बनता है की हमारे देश के बारे में हमे पता होना चाइए तभी तो आप सभी लोगों को इस देश की खूबसूरत चीजो के बारे में पता चलेगी | आप सभी दोस्तों से उम्मीद करता हु की आपको जोबनेर ज्वाला माता के बारे में पता चल गया होगा तो आप खुद या अपने परिवार को साथ लेकर दर्शन करने जाइए | मेरा विश्वाश है की आपके मन को शांति मिलेगी |
Jai mata di thanks for giving best knowledge jobner jwala mata .
Jai mata di .bhut kuch hai Rajasthan me yadi iska acche se iteehash jane to .
Jai mata di . Rajasthan me aaj bhi purani bhut chise hai jo aane wali pidi ko jaana jaruri hai kuki tabhi bharat desh ki sankrti smaj me aayegi.
Thanks for Appreciate My work .
Jai mata di . Jobner jawala mata ka mandir dekhne like hai aap sabhi se me nivden krunga ki aap apni pariwar ke sath ek baar darshan krne jaiye .
Jai jawala maa
Thanks sir aapne bhut hi accha jikar kiya mata ke bare me .
Welcome sir
Jai jwala mata .
Jobner jwala mata ki jay ho
Jai Mata di
Jai mata di .Rajasthan pure bharat me ithehhas me ahem bhumika nibhta hai yadi iska acche se jane to Rajasthan me bhut kuch hai .
Jai mata di . Sir me bhi apni family ko leakr jobner jwala mata ke darshan krne aayenge.
Ji mujhe pata laga he
Ye mata hamari kul ki devi he
Par mujhe paka confirm nhi he
Ye kese pata Karu
Me rajasthan se hu
Ramgadh sekhawati dist siker he
Naam Anil Dhalia
Abhi me Hyderabad me rah raha hu
Aap yaha darshan krne aayiye. Is mata ke prbhav se log bhit acche ho gye hai .
Jai mata di ..aapka ye blog sach me ek Gyanpurwak hai ..or iske sath hi aapka video ko dekhkar jobner jawala mata ke mandir ka drshan acche se kr liya .thanku so much .
Sir ye mata hamari kuldevi hai aapne jo mandir me hai wesa hi btaya hai ।
Aapne bhut hi shandar topics likha hai Mandir ke bare ।