रतन टाटा का जीवन परिचय Ratan Tata Biography in Hindi
रतन टाटा इस नाम को कौन नहीं जानता है जब भी भारत देश के बड़े बिजनेसमैन की बात होती है तो इनका नाम टॉप पर आता है और यह एक ऐसे बिजनेसमैन है जिन्होंने हर फील्ड में अपनी कंपनियों को फैला रखा है और हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
रतन टाटा जी हमारे भारत देश के लिए एक बहुत ही गौरव की बात है क्योंकि इन्होंने हमारे भारत देश को बहुत ऊंचे पर पहुंचाया है वह भी अपने बिज़नेस के दम पर इनके टाटा कंपनी के वजह से लोग विदेशों में भी भारत देश को जानते हैं और यह सिर्फ और सिर्फ रतन टाटा जी की वजह से क्योंकि इन्होंने टाटा कंपनी को इतना बड़ा बना दिया वह भी अपने खुद के दम पर।
अगर आप रतन टाटा जी के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े हमने इस पर रतन टाटा जी के बारे में सारी जानकारी दी है।
रतन टाटा का जीवन परिचय
नाम | रतन टाटा |
जन्म तारीख | 28 दिसम्बर 1937 |
जन्म स्थान | सूरत , गुजरात |
माता का नाम | स्वर्गीय श्री मति सोनू टाटा |
पिता का नाम | स्वर्गीय श्री नवल टाटा |
शिक्षा | हार्वर्ड यूनिवर्सिटी |
स्पाउस | रतन टाटा अविवाहित है |
बिज़नस की शुरुआत | 1962 |
पुरस्कार | ओबीई 2009 और पदम् विभूषण 2008 |
नागरिकता | भारतीय |
सम्पति | 117 बिलियन डॉलर ( एक रिपोर्ट के अनुसार ) |
रतन टाटा जी वर्तमान समय में टाटा ग्रुप के अध्यक्ष/चेयरमैन है और यह फिलहाल के समय में टाटा ग्रुप को संभाल रहे हैं। रतन टाटा एक ऐसा नाम है जिसको दुनिया भर में लोग जानते हैं ऐसा कोई भी लोग नहीं है जो रतन टाटा को नहीं जानता।
रतन टाटा जी ने अपने बिजनेस के दम पर कुछ ऐसा नाम बना दिया है। इन्होंने अपने टाटा ग्रुप को सभी क्षेत्र में फैलाया हुआ है जैसे कि टाटा स्टील, टाटा पावर, टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज, टाटा केमिकल ,टाटा मोटर्स ,टाटा टेलीसर्विसेज और बहुत से इंडियन होटल के क्षेत्र में फैला हुआ है। इनके इस काम करने के तरीके के वजह से इनका टाटा ग्रुप बहुत बड़ा ग्रुप बन चुका है जिसको देश दुनिया भर में लोग जानते हैं।
रतन टाटा का जन्म कब हुआ
रतन टाटा जी का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के सूरत शहर में हुआ था। यह एक हिंदू परिवार से बिलॉन्ग करते हैं। इनके पिता जी का नाम नवल टाटा है। वह इनके माता जी का नाम सोनू टाटा है। रतन टाटा जी ने बचपन से ही अपने माता-पिता का प्यार नहीं देखा था।
क्योंकि इनकी 10 साल की उम्र में इनके माता-पिता का डिवोर्स हो गया था जिसकी वजह से इन का लालन पोषण इनकी दादी ने ही किया था और यह अपने दादी के प्यार से ही खेलते कूदते बढ़े हुए। रतन टाटा और उनके भाई उनके दादी के प्यार और पालन-पोषण से ही बड़े हुए थे |
उनकी दादी ने इन्हीं अच्छे संस्कार और अनुशासन में रहने के संस्कार दिए थे जिससे कि रतन टाटा आज इतने अनुशासन में रहते हैं इनके भाई का नाम नोएल टाटा है जो कि एक सौतेले भाई थे।
रतन टाटा की शिक्षा
रतन टाटा जी की शिक्षा की बात करें तो इन्होंने अपनी शुरुआत की पढ़ाई मुंबई के कैंपियन स्कूल से की थी इन्होंने अपनी पढ़ाई आठवीं कक्षा तक यहां से करी थी। इसके बाद यह मुंबई के एंड जॉन कॉनन स्कूल में एडमिशन ले लिया था |
और उसके उसके बाद अपने 12th की पढ़ाई को कंप्लीट करने के लिए शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में एडमिशन लिया था इन्होंने अपने 12th पास करी और 1955 में न्यूयॉर्क शहर के रिवॉर्डेबल कंट्री स्कूल से इन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर ली और इसके बाद अपने करियर की शुरुआत करी थी।
रतन टाटा जी शुरू से ही अपनी शिक्षा में बहुत सही रहे थे इसलिए इन्होंने अपनी शिक्षा बिल्कुल सही जगह से करी थी और बिल्कुल एकदम ठीक करी थी। इनकी शिक्षा के बल पर ही आज यह इतनी बड़ी कंपनी के मालिक भी हैं।
रतन टाटा का परिवार (Ratan Tata Family )
रतन टाटा जी का परिवार एक बहुत ही छोटा परिवार था। इनके परिवार में इनके माताजी पिताजी भाई और इनके दादा दादी जी ही थे।
पिता का नाम (Father’s Name) स्वर्गीय नवल टाटा |
माता का नाम (Mother’s Name) स्वर्गीय सूनी टाटा |
भाई का नाम (Brother ’s Name) नोएल टाटा (सौतेला भाई )|
दादी का नाम (Grandmother’s Name) नवाजबाई |
रतन टाटा जी के करियर की शुरआत
- जब रतन टाटा जी अमेरिका में रहकर अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे तो रतन टाटा जी अमेरिका से बहुत इंप्रेस हो गए थे और उन्होंने अमेरिका के कैलिफोर्निया और लॉस एंजलिस में रहने का फैसला कर लिया था उन्होंने यह ठान लिया था कि उनको अब यहीं पर रहना है ,क्योंकि वह वहां की लाइफस्टाइल और वहां के रहने सहने के तरीके से इतने खुश हो गए थे कि उनको वह सब चीजें पसंद आने लग गई थी और आए भी क्यों ना क्योंकि वह वहा पर 1955 से लेकर 1962 तक रहे थे तो 7 साल में उनका यह मन वहां रहने के लिए एकदम तय हो गया था।
- रतन टाटा जी ने तो अपना मन अमेरिका में रहने का ही बना लिया था और वहां पर वो सेटल भी होना चाहते थे पर जब कुछ समय बाद उनकी दादी की तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्हें अपने सपने को छोड़कर भारत आना पड़ा। वह तो वही रहना चाहते थे पर उन्हें भारत मजबूरी में आना पड़ गया था।
- जब रतन टाटा जी अमेरिका से वापस आए थे। तो इनको सन 1962 में टाटा ग्रुप में काम करने का मौका मिला था और इन्होंने सबसे पहला काम टाटा ग्रुप में टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर किया था। रतन टाटा जी का काम टाटा के स्टील को बेचने का था और इनका यह सबसे पहला काम था टाटा ग्रुप में।
- रतन टाटा जी का अपनी ग्रेजुएशन के बाद टाटा ग्रुप में एंट्री हुई थी और इन्होंने सबसे पहला काम टाटा स्टील के शॉप पर किया था इसके बाद धीरे-धीरे यह आगे बढ़ते रहें।
रतन टाटा के संघर्ष और सफलता की कहानी
- .रतन टाटा जी ने सन 1962 में टाटा ग्रुप के लिए सबसे पहले काम किया था और उसके बाद साल 1971 में रतन टाटा जी को नेशनल रेडियो ऐड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी का डायरेक्टर घोषित कर दिया गया था।
- इसके बाद रतन टाटा जी ने अपनी इस जिम्मेदारी को बहुत अच्छे से निभाया क्योंकि जब रतन टाटा जी इस कंपनी के डायरेक्टर बने थे तो यह कंपनी बहुत ज्यादा घाटे में चल रही थी पर कुछ साल बाद रतन टाटा जी ने इस कंपनी को संभाला था। उसके कुछ सालों बाद यह कंपनी बहुत ऊंची पहुंच गई थी और कम्पनी ने मार्केट में 20 परसेंट मार्केट प्राइस की हिस्सेदारी भी बना ली थी। इसके बाद रतन टाटा जी बहुत चर्चित होने लगे और अपनी बिज़नेस फील्ड में फेमस हो गए।
- सब कुछ अच्छा चल रहा था। रतन टाटा जी की यह कंपनी बहुत फायदे में चल रही थी। पर उस समय सरकार ने आपातकालीन घोषित कर दिया था और उस समय इंदिरा गांधी जी की सरकार थी। आपातकालीन घोषित होने के कंपनी धीरे-धीरे घाटे में चलने लग गई और एक समय आने पर रतन टाटा जी को टेल्को कंपनी बंद करनी पड़ी क्योंकि यूनियन के लोग हड़ताल करने लग गए थे।
- टेल्को कंपनी बंद होने के बाद रतन टाटा जी को टाटा ग्रुप की एक नई कंपनी को संभालने का मौका मिला था। यह कंपनी एक कपड़े की कंपनी थी और जिस तरह से वह कंपनी घाटे में चल रही थी उसी तरह से यह कंपनी भी बहुत घाटे में चल रही थी। रतन टाटा जी ने बहुत कोशिश की पर वह इस कंपनी को ग्रो नहीं कर पाए।
- उन्हें इस कंपनी को एक्सपेंड और रिनोवेट कराने के लिए 50 लाख के फंड की जरूरत थी पर यह फंड उन्हे टाटा ग्रुप द्वारा नहीं दिया गया जिससे कि वह इस कंपनी को सही तरह ग्रो नहीं करा पाए और अंत में इस कंपनी को बंद करना पड़ा इसको देखकर रतन टाटा जी को बहुत दुख हुआ और वह बहुत मायूस भी हुए। पर इसमें रतन टाटा जी की कोई गलती नहीं थी उन्हें टाटा ग्रुप द्वारा फंड ही नहीं दिया गया था।
- कुछ साल बीतने के बाद रतन टाटा जी को जेआरडी टाटा ने टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी बना दिया था। रतन टाटा जी 1991 में टाटा ग्रुप के उत्तराधिकारी बने थे।
- जैसा कि आप सब जानते हैं टाटा मोटर्स ने अपनी पहली कार टाटा इंडिका को 1998 में लॉन्च किया था और यह टाटा मोटर्स की पहली यात्री कार थी।
- जैसे-जैसे समय बीत ता गया रतन टाटा जी बिजनेस के फील्ड में एक्सपीरियंस लेते गए और रतन टाटा जी ने ठान लिया था कि उनको टाटा ग्रुप को बहुत बड़ा बनाना है। इसी विचार के साथ रतन टाटा जी ने 2000 में लंदन की एक कंपनी को खरीदा और उसी के 3 साल बाद 2004 में दक्षिण कोरिया की मोटर्स कंपनी को खरीद लिया जो की ट्रक बनाने का काम करती थी |
- इन दोनों काम करने के बाद उसके 3 साल बाद टाटा ग्रुप ने 2007 में एक स्टील बनाने वाली कंपनी को भी खरीद लिया था। बीते हुए कुल 7 सालों में जब से रतन टाटा जी टाटा ग्रुप के उत्तराधिकारी बने थे टाटा ग्रुप की ग्रोथ लगातार बढ़ती ही जा रही थी। अब जेआरडी टाटा समझ गए थे कि उन्होंने किसी सही आदमी को टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी बनाया है।
रतन टाटा का सपना टाटा नैनो
रतन टाटा जी ने अपने भारत देश को देखते हुए यह सोचा कि हमारे भारत देश में बहुत से लोग कार अफोर्ड नहीं कर पाते और जिससे कि वह मोटरसाइकिल पर पूरे परिवार को लेकर जाते है। जिससे कि एक्सीडेंट के चांस बढ़ते हैं।
रतन टाटा जी ने यह ठान लिया था कि उनको भारत देश के लिए एक सबसे किफायती कार लांच करनी है जो कि हर भारतीय खरीद पाए और उनका यह सपना पूरा भी हुआ। रतन टाटा जी ने साल 2008 में टाटा मोटर्स के द्वारा एक सबसे सस्ती कार जिसका नाम नैनो था। उसको दिल्ली में एक कार शो के दौरान लॉन्च किया था और इस कार की कीमत ₹1 लाख रुपए थी।
थोड़ी साल तो यह कार बिल्कुल सही चली पर उसके बाद लोगों ने इसको एक्सपोज करना शुरू कर दिया जिसके बाद टाटा मोटर्स को न चाहते हुए भी उसको बंद करना पड़ा।
रतन टाटा का रिटायरमेंट
- .रतन टाटा जी ने अपनी नौकरी के दौरान 21 साल तक टाटा ग्रुप को अच्छी तरह से ग्रोथ कराया और टाटा ग्रुप के मार्केट प्राइस को 40% तक बढ़ाया और 50% तक का प्रॉफिट भी कराया देखा जाए तो रतन टाटा जी ने टाटा ग्रुप को बहुत ज्यादा ग्रोथ की थी।
- रतन टाटा जी ने टाटा ग्रुप से अपनी 75 वर्ष की उम्र में ही इस्तीफा दे दिया था। रतन टाटा जी ने 28 दिसंबर 2012 को टाटा ग्रुप से इस्तीफा दे दिया था और रिटायरमेंट हो गए थे।
- रतन टाटा जी के बाद साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था पर 2016 में कुछ कारण की वजह से साइरस मिस्त्री को कंपनी से निकाल दिया गया था।
- सन 2016 के बाद रतन टाटा जी ने साइरस मिस्त्री को निकालने के बाद दोबारा से टाटा ग्रुप की जिम्मेदारी संभाल ली और फिर से टाटा ग्रुप के लिए काम करना शुरू कर दिया।
- सन 2017 में नटराजन चंद्रशेखर को टाटा ग्रुप की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और वह इस जिम्मेदारी को अभी तक बहुत अच्छे से संभाल रहे हैं।
रतन टाटा के अवार्ड्स
रतन टाटा जी को अपने करियर के दौरान बहुत से अवार्ड से सम्मानित किया गया था। जिसमें से रतन टाटा जी को सन 2000 में पदम भूषण से सम्मानित किया गया और उसके बाद सन् 2008 में पदम विभूषण से सम्मानित किया गया था।
वर्ष | अवार्ड्स |
2001 | बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन के मानद डॉक्टर |
2004 | उरुग्वे के ओरिएंटल गणराज्य की पदक |
2004 | प्रोद्योगिकी के मानद डॉक्टर |
2005 | साइंस की मानद डॉक्टर |
2006 | साइंस की मानद डॉक्टर |
2007 | मानद फेलोशिप |
2007 | परोपकार पदक |
2008 | लीडरशिप अवार्ड |
2008 | लो की मानद डॉक्टर |
2008 | साइंस की मानद डॉक्टर |
2009 | ब्रिटिश सम्राज्य के आदेश के मानद नाईट कमांडर |
2010 | लो की मानद डॉक्टर |
2010 | शांति पुरूस्कार |
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रतन टाटा के बारे में रोचक तथ्य
- पूरे वर्ल्ड में टाटा ग्रुप सबसे बड़ी पांचवी कंपनी है इस ग्रुप के अंदर 100 कंपनियों से ज्यादा हैं। टाटा ग्रुप की बहुत सी कंपनी है यह चाय, होटल ,स्टील कार, मोटर्स , हवाई जहाज ,कंसल्टेंसी वह वेयरिंग क्लॉथ वगैरह सब चीजों में टाटा ग्रुप वर्क करता है।
- आपको यह बता दे कि रतन टाटा जी का स्वभाव बहुत अच्छा है और वह अपने कर्मचारियों और एंप्लॉय से बहुत प्यार करते हैं इसी वजह से सब इस कंपनी में नौकरी करना चाहते हैं क्योंकि यहां का वातावरण और लोग बहुत फ्रेंडली हैं।
- जैसा कि आपको पता ही है रतन टाटा जी ने कुल 21 साल टाटा ग्रुप के लिए काम किया था और इन 21 सालों में रतन टाटा जी ने टाटा ग्रुप को बहुत उपर पहुंचा दिया था और मार्केट प्राइस 50% से ज्यादा कर दी थी। अब तक देखा जाए तो सबसे अच्छे उत्तराधिकारी रतन टाटा ही है टाटा ग्रुप के लिए।
- जब 26/11 अटैक ताज होटल पर हुआ था। उस समय जो भी लोग होटल के बाहर छोटे-मोटे दुकाने या फिर टी स्टाल वगैरह लगाते थे। उनका उस हमले के दौरान जो भी नुकसान हुआ था। उन सब को नुकसान चुकाने के लिए रतन टाटा जी ने उनकी बहुत मदद की थी।
- आपने कभी ना कभी रतन टाटा जी को जानवरों और कुत्तों के साथ अवश्य देखा होगा क्योंकि रतन टाटा जी पालतू जानवरों से बहुत प्यार करते हैं इसी वजह से उन्होंने अपने बहुत से बंगले सिर्फ पालतू कुत्तों की देखभाल के लिए दे रखे हैं इनमें वह कुत्तों की देखभाल करवाते हैं क्योंकि उन्हें पालतू जानवरों से बहुत प्यार है।
रतन टाटा जी की कुल संपत्ति/ नेट वर्थ
कि आपको पता ही है कि टाटा ग्रुप एक बहुत बड़ा ग्रुप बन चुका है उसको देश विदेश के लोग अच्छे से जानते हैं अगर रतन टाटा जी के कुल संपत्ति की बात करें तो इनकी कुल संपत्ति 117 billion-dollar है और इसको इंडियन रुपए में कन्वर्ट करें सयानी साडे ₹8.5 लाख करोड रुपए।
आपको यह बता दे की रतन टाटा जी अपनी पूरी संपत्ति और कमाई का 65% हिस्सा लोगों के लिए दान करते हैं इन पैसों से वे लोगों की सहायता करते हैं जैसे की पढ़ाई ,हॉस्पिटल और अलग-अलग चीजों में। रतन टाटा जी बहुत ही दानी व्यक्ति है। यह अपनी आदी से ज्यादा कमाई को लोगों के लिए दान कर देते हैं।
FAQ –
रतन टाटा ने शादी नही करने का क्या कारण था ?
ऐसा रिपोर्ट्स में बताया गया है की रतन टाटा को लॉस एंजिल्स से प्यार हुआ लेकिन 1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध होने के कारण उनकी शादी को रोक दिया |
टाटा बिरला के पास कितनी सम्पति है ?
रिपोर्ट्स के मुताबिक 117 बिलियन डॉलर है |
रतन टाटा दुनिया के अमीर लोगो की लिस्ट में क्यों नही है शामिल ?
ऐसा इसलिए है रतन टाटा अपना आधा पैसा लोगो की मदद के लिए दान कर देते है |
अंतिम विचार –
इस लेख में हमने रतन टाटा के जीवन के बारे में लिखा है जिसमे रतन टाटा कौन है , इनके जन्म से लेकर उनके कामयाबी तक का जिक्र आपको इस लेख में बताया गया है | यदि आपको मेरे द्वारा लिखा गया लेख पसंद आये तो एक प्यारा सा कमेंट्स जरुर कर दीजियेगा |
|| आपका धन्यवाद ||