श्री राधा गोपीनाथ मंदिर जयपुर ,जानिए इसका पूरा इतिहास : Shri Radha Gopinath Temple Jaipur Know Its Complete History
आज हम आपको जयपुर के सबसे ज़्यादा प्रसिद्ध श्री राधागोपिनाथ मंदिर जयपुर के बारे में बताने जा रहे है। इस मंदिर को लेकर कई मान्यता है जो इस आर्टिकल से आपको जानने को मिलेगी।
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर क्या है ? Shri Radha Gopinath Temple Jaipur Know Its Complete History
आज हम आप सबको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जिससे लोग दूर – दूर से देखने आते है। इस मंदिर की खास बात ये है की यहां माना जाता है कि जो मूर्ति कृष्ण जी की स्थापित की गयी है उसमें उनके सांसे चलती है । जी हां आपकी जानकारी के लिये बता दे की ऐसी मान्यता श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर पर आज भी ऐसा महसूस किया जाता है कि यहाँ भगवान श्री कृष्ण सांस ले रहे है। इसी वजह से यहाँ अधिकांश भक्त भगवानश्री कृष्ण के दर्शन के लिये बहुत दूर से आते है ।
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर कहा स्थित है
आपकी जानकारी के लिये बता दे कि भगवान श्री कृष्णा का श्री राधा गोपिनाथ जी मंदिर जयपुर में स्थित है। हालॉकि ऐसी मान्यता है कि पहले भगवान कृष्ण यहाँ विराजमान ना होकर वृन्दावन पर थे लेकिन जब मुगलों ने भगवान के वृन्दावन के मंदिर के आक्रमण किया तो वो वहां से उठकर यहां जयपुर में आकर बस गये। यहाँ आपको भगवान कृष्ण जी के तीन विग्रह देखने को मिल जाते है जिसमे आपको करौली के मदन मोहन जी, जयपुर के गोविंद देव जी और गोपीनाथ जी देखने को मिल जाते है। ऐसी मान्यता है कि जो भी तीनो विग्रह के दर्शन एक साथ कर लेता है उससे इस संस्कारी मोह माया से मुक्ति मिल जाती है।
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर का इतिहास क्या है Shri Radha Gopinath Temple Jaipur Know Its Complete History
भगवान राधा गोपीनाथ के मंदिर का निर्माण इतिहास काफी अद्भुत माना जाता है।आपकी जानकारी के लिये बता दे कि श्री राधा गोपीनाथ मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के प्रोपोत्र बज्रनाभ ने कराया था। ब्रजनाथ को अर्जुन के पुत्र महाराज परीक्षित ने मथुरा मंडल का राजा बनाया था ।
ब्रजनाथ को आपने पूर्वज भगवान श्री कृष्ण के प्रति बहुत आस्था थी। ब्रजनाथ ने भगवान कृष्ण के कारण ही तीन विग्रह का निर्माण कराया था जो कि काफी रहस्य मय था। दरअसल ब्रजनाथ की दादी ने भगवान श्री कृष्ण को देखा था। बचपन से ही अपनी दादी के मुख से भगवान कृष्ण के प्रति सुंदर वचन सुनने के कारण उसकी भगवान कृष्ण के प्रति काफी अधिक आस्था रही थी।
ब्रजनाथ ने जब अपने दादी से पूछा कि भगवान कृष्ण कैसे दिखते थे ? वो वैसे ही मूर्ति बनवाना चाहता है। ब्रजनाथ की दादी ने उसे भगवान श्री कृष्ण के रूप रेखा की जानकारी दी जिसके फलस्वरूप उसने एक मूर्ति बनवायी। जब इस मूर्ति को भाग ब्रजनाथ की दादी ने देखा तो बताया कि इस विग्रह को देखा तो कहा कि इस विग्रह में भगवान कृष्ण के चरण और पैर बिल्कुल भगवान कृष्ण के जैसे दिखते है लेकिन शरीर का अन्य भाग भगवान कृष्ण जैसा नहीं दिखता है। ब्रजनाथ ने इस विग्रह का नाम मदन मोहन नाम दिया ।
ब्रजनाथ ने फिरसे कारीगरों को भगवान कृष्ण जी नया विग्रह बनाने को कहा है। इस बार भी एक सुंदर प्रतिभा बनकर तैयार हो गयी । इस प्रतिभा को जब ब्रजनाथ ने अपनी दादी को दिखाया तो दादी ने कहा इस विग्रह में वक्षस्थल और बाहु भगवान कृष्ण के जैसे दिखते है लेकिन शरीर के अन्य भाग उनसे मेल नहीं खाते है। ब्रजनाथ ने भगवान कृष्ण की इस विग्रह का नाम श्री गोपीनाथ जी का स्वरूप कहा था।
ब्रजनाथ ने फिरसे अपने कारीगरों को भगवान कृष्ण जी का विग्रह बनाने को कहा। विग्रह बन जाने के बाद जब ब्रजनाथ ने अपनी दादी को ये विग्रह दिखाया तो उनकी आँखों पर आंसू आ गये। ब्रजनाथ की दादी ने कहा इस विग्रह नयन और मुख साक्षात भगवान कृष्ण के जैसा है। खुद ब्रजनाथ इस विग्रह को देखकर मोहित हो गया था। ब्रजनाथ ने इस विग्रह का नाम श्री गोविन्द देवजी दिया।
ब्रजनाथ ने इन तीनो विग्रहों को स्थापित करके मंदिर का निर्माण करवाया । जिनमे मदन मोहन जी का मंदिर करौली में स्थापित किया गया है वही श्री गोपीनाथ मंदिर को जयपुर की पुरानी बस्ती में स्थापित किया गया था। ब्रजनाथ जी के द्वारा श्री गोविन्द देवजी के विग्रह को जयपुर के सिटी पैलेस के पीछे जयनिवास उद्यान में स्थापित किया गया है।
कृष्ण जी पहनते है घड़ी है –
श्री राधा गोपीनाथ मंदिर में स्थापित विग्रह में भगवान कृष्ण जी घड़ी पहनते है। ये बात सुनकर आपको हैरानी हुई होगी लेकिन ये बात सच है। दरअसल आज़ादी के पूर्व जब अंग्रेजों का शासन भारत मे चल रहा था तब किसी ने ये बात जब अंग्रेजों को बताई की श्री राधागोपिनाथ मंदिर में स्थापित भगवान कृष्ण की सांसें आज भी चल रही है।
शुरू में उन्होनें इस बात को मजाक में लिया लेकिन जब इस बात की चर्चा पूरे भारत मे होने लग गयी तब अंग्रेजो ने अपने एक ऑफिसर को इस बात की जांच करने के लिये श्री राधागोपिनाथ मंदिर भेजा । जब अफसर ने भगवान कृष्ण की प्रतिभा के दर्शन किये तो वो भी इस प्रतिमा को देखकर मंत्रमुग्ध हो गया । लेकिन चूंकि वो जांच करने आया था
इसलिए उसने अपने हाथ मे पहनी हुई घड़ी उतार कर भगवान कृष्ण जी प्रतिभा के हाथ पहनाने को दी। आपकी जानकारी के लिये बता दे की ये कोई ऐसी वैसी घड़ी नहीं थी बल्कि ये घड़ी सिर्फ इंसान के पल्स से चलती है। जब पुजारी के द्वारा इस घड़ी को कृष्ण की प्रतिभा को पहनाया गया तो वो घड़ी चलने लगी।
ये देखकर अंग्रेज भी हैरान हो गया। तब से वो घड़ी आज भी श्री राधा गोपीनाथ के मंदिर में भगवान कृष्ण जी की प्रतिभा के हाथ मे स्थापित हैं और ये घड़ी आज भी चल रही है।
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आरती श्री गोपीनाथ जी की –
चार भुजा के नाथ की , राधा के घनश्याम की | करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
बलदाऊ के भैया की , माखन चोर कन्हैया की |करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
गायो के रखवाले की , गोकुल के इस ग्वाले की |करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
भक्तो के चित चोर की ,सावलिया सीर मोर की | करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
द्रोपदी लाज बचेया की ,ब्रज में रास रचेया की | करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
नरसी के नंदलाला की , मीरा के गोपाल की | करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
भक्तो के हितकारी की , राधा रास बिहारी की |करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
नन्द के राज दुलारे की , यशोदा माँ के प्यारे की |करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
नख पर गिरवर धरी की , प्यारे कृषण मुरारी की |करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
जयपुर के गोविन्द की और गोपीनाथ की | करो रे मिल के आरती , गोपियों के नाथ की ||
मंदिर में दर्शन का समय –
सुबह का समय – सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक
बंद होने का समय – शाम 4:00 बजे से लेकर शाम 7 :00 बजे तक |
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर की विशेषता क्या है
अब हम आपको श्री राधागोपिनाथ मंदिर की विशेषता बताने जा रहे है /
- ऐसी मान्यता श्री राधागोपिनाथ मंदिर के साथ जो तीनों विग्रह के दर्शन करता है उसे सभी प्रकार काष्ठ और समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है।
- श्री राधागोपिनाथ मंदिर में आज भी कृष्ण जी के हाथ मे घड़ी पहने हुये है जो कि आज भी चलती रहती है।
- यहाँ पर आपको भगवान कृष्ण जी की रोजाना 9 झांकियां बनाई जाती है।
श्री राधा गोपीनाथ के मंदिर कितने है ?
गोपीनाथ के एतिहासिक मंदिरों में मात्र 3 शामिल है जो इस प्रकार है –
- श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर , जयपुर
- श्री राधा गोपीनाथ मंदिर, व्रंदावन
- श्री राधा गोपीनाथ देव मंदिर , गुजरात
मंदिर पता –
श्री गोपीनाथ मंदिर , पुरानी बस्ती , चांदपोल बाज़ार , लाल मुंशी का रास्ता , जयपुर
श्री राधा गोपीनाथ जी मंदिर कैसे पहुंचे
श्री राधा गोपीनाथ मंदिर आप तीनो प्रकार से जा सकते है जैसे कि –
Train – अगर आप श्री राधागोपिनाथ मंदिर जाना चाहते है तो इसके लिये जयपुर रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा। जहां से आप किसी भी टैक्सी के मदद श्री राधागोपिनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते है।
हवाई जहाज – इसके लिये आपको हवाई जहाज के माध्यम जयपुर के एयरपोर्ट पर उतरना होता है। फिर आप यहाँ कोई भी सवारी गाड़ी में बैठकर श्री राधागोपिनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते है।
गाड़ी बुक करके – आप चाहे तो किसी भी गाड़ी को बुक करके श्री राधागोपिनाथ मंदिर के दर्शन कर सकते है।
मैप –
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