लोकदेवता रामदेवजी

लोकदेवता रामदेवजी को ‘ रामसा पीर’, ” रूणीचा रा धणी’, ‘ बाबा रामदेव’, आदि उपनामों से भी जाने जाते है।

रामदेवजी का जन्म बाड़मेर के शिव तहसील के ऊंडूकासमेर गाव में भाद्रपद शुक्ल दूज  को हुआ था।

हिन्दू रामदेवजी को कृष्ण का अवतार मानकर तथा मुसलमान रामसा पीर के रूप में पूजा की जाती है।

रामदेवजी के मंदिरों को’ देवरा ‘ कहा जाता है, जिन पर श्वेत या 5 रंगों की ध्वजा, नेजा फहराई जाती है।

इनका विवाह अमरकोट  पाकिस्तान  सोढ़ा, दलसिंह की सुपुत्री नेतलदे/ निहालदे के साथ हुआ।

बाबा रामदेवजी ही एक मात्र ऐसे देवता है, जो एक कवि भी थे। इनकी रचना’ चौबीस वाणियां प्रसिद्ध है।

डालीबाई को रामदेवजी ने धर्म-बहिन बनाया था।

डालीबाई ने रामेदवजी के समाधि लेने से एक दिन पूर्व समाधि ग्रहण की थी।